What is the theme of Republic Day 2025?
गणतंत्र दिवस 2025: 'स्वर्णिम भारत: विरासत और विकास' थीम का महत्व
भारत का 76वां गणतंत्र दिवस, 26 जनवरी 2025 को, विशेष उत्साह और गर्व के साथ मनाया जाएगा। इस वर्ष की परेड की थीम 'स्वर्णिम भारत: विरासत और विकास' निर्धारित की गई है, जो हमारे देश की समृद्ध सांस्कृतिक धरोहर और सतत विकास की यात्रा को प्रतिबिंबित करती है।
'स्वर्णिम भारत: विरासत और विकास' थीम का अर्थ
'स्वर्णिम भारत' शब्द हमारे देश की उस महानता को दर्शाता है, जो सदियों से अपनी सांस्कृतिक, सामाजिक और आर्थिक उपलब्धियों के माध्यम से विश्व में अद्वितीय स्थान रखता है। 'विरासत' हमारे पूर्वजों द्वारा स्थापित उन मूल्यों, परंपराओं और सांस्कृतिक धरोहरों को इंगित करती है, जो आज भी हमारे समाज की नींव हैं। वहीं, 'विकास' उस प्रगति और नवाचार को दर्शाता है, जो भारत ने स्वतंत्रता के बाद से विभिन्न क्षेत्रों में हासिल किया है।
झांकियों के माध्यम से थीम का प्रदर्शन
गणतंत्र दिवस परेड में विभिन्न राज्यों, केंद्र शासित प्रदेशों और केंद्रीय मंत्रालयों की झांकियां इस थीम को जीवंत रूप में प्रस्तुत करेंगी। रक्षा मंत्रालय के अनुसार, इस वर्ष 15 राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों की झांकियों का चयन किया गया है, जिनमें आंध्र प्रदेश, बिहार, चंडीगढ़, दादर नागर हवेली और दमन और दीव, गोवा, गुजरात, हरियाणा, झारखंड, कर्नाटक, मध्य प्रदेश, पंजाब, त्रिपुरा, उत्तराखंड, उत्तर प्रदेश और पश्चिम बंगाल शामिल हैं। इसके अतिरिक्त, केंद्र सरकार के 11 मंत्रालयों और विभागों की झांकियां भी परेड में शामिल होंगी।
चयन प्रक्रिया की पारदर्शिता
झांकियों के चयन के लिए एक सुव्यवस्थित और पारदर्शी प्रक्रिया अपनाई गई है। रक्षा मंत्रालय ने सभी राज्यों, केंद्र शासित प्रदेशों और केंद्रीय मंत्रालयों से प्रस्ताव आमंत्रित किए। प्राप्त प्रस्तावों का मूल्यांकन एक विशेषज्ञ समिति द्वारा किया गया, जिसमें कला, संस्कृति, चित्रकला, मूर्तिकला, संगीत, वास्तुकला, नृत्यकला आदि क्षेत्रों के प्रतिष्ठित व्यक्तित्व शामिल थे। चयन के दौरान वैचारिक विशिष्टता, नवीनता, स्पष्ट संदेश, रचनात्मक अभिव्यक्ति, विरासत और विकास के बीच संतुलन, रंग, रूप, बनावट, लय, अनुपात और संतुलन जैसे पहलुओं पर विशेष ध्यान दिया गया।
झांकियों की विशेषताएं
प्रत्येक झांकी में संबंधित राज्य या मंत्रालय की सांस्कृतिक धरोहर, ऐतिहासिक महत्व, प्राकृतिक सौंदर्य और विकासात्मक पहलों को प्रदर्शित किया जाएगा। उदाहरण के लिए:
गुजरात: राज्य की झांकी में साबरमती आश्रम, स्टैच्यू ऑफ यूनिटी, कच्छ का रण और गिर वन्यजीव अभयारण्य जैसे स्थलों को प्रदर्शित किया जा सकता है, जो राज्य की सांस्कृतिक और प्राकृतिक धरोहर को उजागर करते हैं।
कर्नाटक: मैसूर महल, हम्पी के स्मारक, और बेंगलुरु की तकनीकी प्रगति को झांकी में शामिल किया जा सकता है, जो राज्य की विरासत और विकास को दर्शाते हैं।
'स्वर्णिम भारत' की दिशा में अग्रसर
भारत ने पिछले दशकों में विभिन्न क्षेत्रों में उल्लेखनीय प्रगति की है। आर्थिक सुधार, तकनीकी नवाचार, बुनियादी ढांचे का विकास, शिक्षा और स्वास्थ्य के क्षेत्र में सुधार, और सामाजिक न्याय की दिशा में उठाए गए कदम देश को 'स्वर्णिम भारत' की ओर ले जा रहे हैं। ये झांकियां न केवल हमारी उपलब्धियों का उत्सव मनाएंगी, बल्कि भविष्य की संभावनाओं की ओर भी संकेत करेंगी।
सांस्कृतिक समावेशिता और एकता
गणतंत्र दिवस परेड में प्रदर्शित होने वाली झांकियां भारत की "विविधता में एकता" की भावना को सुदृढ़ करती हैं। विभिन्न संस्कृतियों, भाषाओं, धर्मों और परंपराओं का समावेश हमारे देश की ताकत है। 'स्वर्णिम भारत: विरासत और विकास' थीम इस समावेशिता को और भी प्रबल बनाती है, जिससे राष्ट्रीय एकता और अखंडता को बढ़ावा मिलता है।
बिहार की झांकी: ज्ञान और शांति की भूमि का प्रदर्शन
इस वर्ष की परेड में बिहार की झांकी विशेष आकर्षण का केंद्र होगी। झांकी में राज्य की समृद्ध ज्ञान और शांति की परंपरा को प्रदर्शित किया जाएगा। प्राचीन काल से ही बिहार ज्ञान, मोक्ष और शांति की भूमि रही है। झांकी में शांति का संदेश देते भगवान बुद्ध की अलौकिक मूर्ति को प्रदर्शित किया जाएगा, जो राजगीर स्थित घोड़ा कटोरा जलाशय में अवस्थित है। यह मूर्ति एक ही पत्थर से बनी 70 फीट ऊंची है और 2018 में स्थापित की गई थी। इसके साथ ही, झांकी में प्राचीन नालंदा महाविहार (विश्वविद्यालय) के भग्नावशेषों को भी दर्शाया जाएगा, जो इस बात के साक्षी हैं कि चीन, जापान और मध्य एशिया के सुदूरवर्ती देशों से छात्र यहां ज्ञान की प्राप्ति के लिए आते थे।
गणतंत्र दिवस 2025: मुख्य अतिथि
गणतंत्र दिवस 2025 के समारोह में इंडोनेशिया के राष्ट्रपति प्रबोवो सुबियांटो मुख्य अतिथि के रूप में शामिल होंगे। उनका यह सम्मान भारत और इंडोनेशिया के बीच मजबूत होते द्विपक्षीय संबंधों को दर्शाता है। यह अवसर दोनों देशों के बीच सांस्कृतिक और आर्थिक सहयोग को और भी सुदृढ़ करेगा।
गणतंत्र दिवस 2025: विशेष अतिथियों का समावेश
गणतंत्र दिवस 2025 के समारोह में जनभागीदारी को बढ़ावा देने के उद्देश्य से, सरकार ने विभिन्न क्षेत्रों से लगभग 10,000 विशेष अतिथियों को आमंत्रित किया है। इनमें सरपंच, आपदा राहत कार्यकर्ता, वाइब्रेंट विलेज कार्यक्रम के प्रतिनिधि, जल योद्धा, प्राथमिक कृषि ऋण समितियों के सदस्य, स्वयं सहायता समूह (एसएचजी) के उत्कृष्ट सदस्य, पैरा-ओलंपिक खिलाड़ी, शतरंज ओलंपियाड पदक विजेता, ब्रिज वर्ल्ड गेम्स रजत पदक विजेता, स्नूकर वर्ल्ड चैंपियनशिप स्वर्ण पदक विजेता, पेटेंट धारक, स्टार्ट-अप उद्यमी, और वीर गाथा प्रतियोगिता के विजेता स्कूली बच्चे शामिल हैं।
इन विशेष अतिथियों को न केवल गणतंत्र दिवस परेड का साक्षी बनने का अवसर मिलेगा, बल्कि वे राष्ट्रीय युद्ध स्मारक, प्रधानमंत्री संग्रहालय और दिल्ली के अन्य प्रमुख स्थलों का भी दौरा करेंगे। इसके अतिरिक्त, उन्हें संबंधित मंत्रियों से संवाद करने का अवसर भी प्रदान किया जाएगा, जिससे वे राष्ट्रीय विकास में अपनी भूमिकाओं को और सुदृढ़ कर सकें।
वीर गाथा 4.0: छात्रों में देशभक्ति की भावना का संचार
रक्षा मंत्रालय और शिक्षा मंत्रालय की संयुक्त पहल 'वीर गाथा 4.0' को देशभर में अभूतपूर्व प्रतिक्रिया मिली है। इस वर्ष, लगभग 1.76 करोड़ छात्रों ने इस प्रतियोगिता में भाग लिया, जिसमें से राष्ट्रीय स्तर पर 100 सुपर विजेताओं का चयन किया गया है। इन विजेताओं को 10,000 रुपये का नकद पुरस्कार और गणतंत्र दिवस परेड 2025 में विशेष अतिथि के रूप में शामिल होने का अवसर मिलेगा।
'वीर गाथा' परियोजना का उद्देश्य वीरता पुरस्कार विजेताओं के बहादुरी भरे कार्यों और जीवन की कहानियों के बारे में जागरूकता बढ़ाना है, जिससे छात्रों में देशभक्ति और नागरिक मूल्यों का विकास हो सके। इस पहल ने छात्रों को भारतीय इतिहास और संस्कृति की गहन समझ प्रदान की है, जो उन्हें राष्ट्र निर्माण में सक्रिय भूमिका निभाने के लिए प्रेरित करती है।
निष्कर्ष
गणतंत्र दिवस 2025 का समारोह 'स्वर्णिम भारत: विरासत और विकास' की थीम के साथ न केवल हमारी समृद्ध सांस्कृतिक धरोहर और विकास की यात्रा को प्रदर्शित करेगा, बल्कि जनभागीदारी को बढ़ावा देने के लिए विभिन्न क्षेत्रों के विशेष अतिथियों को आमंत्रित करके राष्ट्रीय एकता और समावेशिता की भावना को भी सुदृढ़ करेगा। यह पहल हमारे देश के लोकतांत्रिक मूल्यों और सामाजिक ताने-बाने को मजबूत करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाएगी, जिससे हम सभी को गर्व और प्रेरणा मिलेगी।
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