🌸 हैप्पी जन्माष्टमी 2025 – श्रीकृष्ण जन्मोत्सव की सम्पूर्ण जानकारी 🌸
“राधे-राधे बोलो, दिल खोल के बोलो, कान्हा के जन्म का त्योहार है आया!”
📌 परिचय – जन्माष्टमी क्या है?
जन्माष्टमी हिंदू धर्म का एक प्रमुख और पवित्र त्योहार है, जिसे भगवान श्रीकृष्ण के जन्म दिवस के रूप में मनाया जाता है। यह त्योहार भाद्रपद माह की कृष्ण पक्ष की अष्टमी तिथि को आता है। इस दिन भक्तगण उपवास रखते हैं, मन्दिर सजाते हैं और मध्यरात्रि में श्रीकृष्ण जन्मोत्सव धूमधाम से मनाते हैं।
🕰️ जन्माष्टमी का इतिहास
भगवान श्रीकृष्ण का जन्म मथुरा के कारागार में हुआ था। उनकी माता का नाम देवकी और पिता का नाम वसुदेव था। उस समय मथुरा पर कंस का राज था, जो अत्याचारी और निर्दयी था। देवकी के आठवें पुत्र के हाथों कंस का वध होना तय था, इसलिए उसने उन्हें कैद कर लिया।
जब श्रीकृष्ण का जन्म हुआ, तब वसुदेव जी ने चमत्कारिक रूप से यमुना पार कर उन्हें गोकुल में नंद बाबा और यशोदा जी के पास पहुँचा दिया।
📅 जन्माष्टमी 2025 की तारीख और शुभ मुहूर्त
तिथि | दिन | अष्टमी तिथि प्रारंभ | अष्टमी तिथि समाप्त | रोहिणी नक्षत्र | जन्माष्टमी पूजन समय |
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16 अगस्त 2025 | शनिवार | सुबह 11:47 बजे | 17 अगस्त सुबह 09:18 बजे | 16 अगस्त रात 10:12 बजे तक | रात 11:59 से 12:45 (मध्यरात्रि) |
🌟 भगवान कृष्ण के जन्म की कहानी
कंस को जब यह भविष्यवाणी पता चली कि देवकी का आठवां पुत्र उसका अंत करेगा, तो उसने देवकी और वसुदेव को कारागार में डाल दिया।
जब श्रीकृष्ण का जन्म हुआ, तो कारागार के ताले अपने आप खुल गए, और वसुदेव जी ने उन्हें टोकरी में रखकर यमुना पार की। गोकुल पहुँचकर उन्होंने उन्हें नंद बाबा और यशोदा जी को सौंप दिया। यह रात चमत्कारों से भरी थी और तभी से इसे जन्माष्टमी के रूप में मनाया जाता है।
📖 जन्माष्टमी का धार्मिक महत्व
- यह त्योहार धर्म की अधर्म पर विजय का प्रतीक है।
- यह भक्ति, प्रेम और सच्चाई का संदेश देता है।
- श्रीकृष्ण के जन्म की याद दिलाता है, जिन्होंने गीता का ज्ञान दिया।
- यह त्योहार अहिंसा और सत्य की राह पर चलने की प्रेरणा देता है।
🙏 व्रत और पूजा विधि
- सुबह स्नान कर व्रत का संकल्प लें।
- मन्दिर या घर में श्रीकृष्ण की प्रतिमा को सजाएँ।
- फल, माखन-मिश्री, पंचामृत आदि अर्पित करें।
- रात 12 बजे श्रीकृष्ण जन्म आरती करें।
- भजन-कीर्तन का आयोजन करें।
📦 इनफॉर्मेशन बॉक्स – जन्माष्टमी पर व्रत नियम
- अनाज का सेवन न करें।
- फलाहार लें।
- पूजा में तुलसी दल का विशेष महत्व है।
🎉 भारत में जन्माष्टमी का उत्सव
भारत के विभिन्न राज्यों में जन्माष्टमी अलग-अलग तरीकों से मनाई जाती है—
- मथुरा व वृंदावन – भव्य झांकियाँ और रासलीला।
- महाराष्ट्र – दही-हांडी प्रतियोगिता।
- गुजरात – मन्दिर सजावट और माखन मिश्री महोत्सव।
- ओडिशा – जगन्नाथ पुरी में विशेष पूजा।
🌍 विदेशों में जन्माष्टमी
- अमेरिका, यूके, रूस – ISKCON मन्दिरों में भव्य उत्सव।
- फिजी, मॉरीशस – भारतीय मूल के लोग धूमधाम से मनाते हैं।
🪔 दही-हांडी की परंपरा
महाराष्ट्र में जन्माष्टमी पर दही-हांडी का आयोजन होता है। इसमें युवा पिरामिड बनाकर ऊँचाई पर बंधी मटकी को फोड़ते हैं, जो माखन-मिश्री से भरी होती है। यह परंपरा श्रीकृष्ण के बचपन की माखन चोरी की याद दिलाती है।
📜 जन्माष्टमी से जुड़े रोचक तथ्य
📦 फैक्ट बॉक्स
- श्रीकृष्ण का जन्म 5,000 साल से भी पहले हुआ था।
- वे 64 कलाओं के ज्ञाता थे।
- उन्होंने महाभारत में अर्जुन को भगवद गीता का उपदेश दिया।
- मथुरा और द्वारका को श्रीकृष्ण की प्रमुख नगरी माना जाता है।
🎶 लोकप्रिय भजन और मंत्र
- “राधे राधे जपो चले आएंगे बिहारी”
- “अच्युतम् केशवं कृष्ण दामोदरम्”
- मंत्र:
ॐ नमो भगवते वासुदेवाय नमः
💬
“माखन चोर आया है, नंदलाल आया है, खुशियों की बरसात साथ लाया है।”
🏆 निष्कर्ष
जन्माष्टमी केवल एक त्योहार नहीं, बल्कि आस्था, प्रेम और भक्ति का प्रतीक है। यह हमें जीवन में सच्चाई और धर्म के मार्ग पर चलने की प्रेरणा देता है।
आप सभी को जन्माष्टमी की हार्दिक शुभकामनाएँ – जय श्रीकृष्ण!
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